Top Shodashi Secrets
Wiki Article
Kadi mantras are regarded as one of the most pure and tend to be utilized for bigger spiritual procedures. These are affiliated with the Sri Chakra and they are thought to carry about divine blessings and enlightenment.
The Mahavidya Shodashi Mantra supports psychological steadiness, advertising healing from past traumas and interior peace. By chanting this mantra, devotees find release from detrimental thoughts, producing a balanced and resilient state of mind that helps them face everyday living’s troubles gracefully.
सानन्दं ध्यानयोगाद्विसगुणसद्दशी दृश्यते चित्तमध्ये ।
साम्राज्ञी चक्रराज्ञी प्रदिशतु कुशलं मह्यमोङ्काररूपा ॥१५॥
When Lord Shiva heard regarding the demise of his wife, he couldn’t Manage his anger, and he beheaded Sati’s father. Nonetheless, when his anger was assuaged, he revived Daksha’s life and bestowed him by using a goat’s head.
यत्र श्री-पुर-वासिनी विजयते श्री-सर्व-सौभाग्यदे
Be sure to convey to me this kind of yoga which can give salvation and paradise (Shodashi Mahavidya). You are the only real theologian who may give me the complete information During this regard.
लक्षं जस्वापि यस्या मनुवरमणिमासिद्धिमन्तो महान्तः
भगवान् शिव ने कहा — ‘कार्तिकेय। तुमने एक अत्यन्त रहस्य का प्रश्न पूछा है और मैं प्रेम वश तुम्हें यह अवश्य ही बताऊंगा। जो सत् रज एवं तम, भूत-प्रेत, मनुष्य, प्राणी हैं, वे सब इस प्रकृति से उत्पन्न हुए हैं। वही पराशक्ति “महात्रिपुर सुन्दरी” है, वही सारे चराचर संसार को उत्पन्न करती है, पालती है और नाश करती है, वही शक्ति इच्छा ज्ञान, क्रिया शक्ति और ब्रह्मा, विष्णु, शिव रूप वाली है, वही त्रिशक्ति के रूप में सृष्टि, स्थिति और more info विनाशिनी है, ब्रह्मा रूप में वह इस चराचर जगत की सृष्टि करती है।
॥ अथ श्री त्रिपुरसुन्दरीवेदसारस्तवः ॥
Known as the goddess of knowledge, Shodashi guides her devotees toward clarity, Perception, and better know-how. Chanting her mantra boosts instinct, serving to men and women make clever selections and align with their interior truth. This benefit nurtures a life of integrity and purpose.
कामाक्षीं कामितानां वितरणचतुरां चेतसा भावयामि ॥७॥
श्रीमद्-सद्-गुरु-पूज्य-पाद-करुणा-संवेद्य-तत्त्वात्मकं
यह साधना करने वाला व्यक्ति स्वयं कामदेव के समान हो जाता है और वह साधारण व्यक्ति न रहकर लक्ष्मीवान्, पुत्रवान व स्त्रीप्रिय होता है। उसे वशीकरण की विशेष शक्ति प्राप्त होती है, उसके अंदर एक विशेष आत्मशक्ति का विकास होता है और उसके जीवन के पाप शान्त होते है। जिस प्रकार अग्नि में कपूर तत्काल भस्म हो जाता है, उसी प्रकार महात्रिपुर सुन्दरी की साधना करने से व्यक्ति के पापों का क्षय हो जाता है, वाणी की सिद्धि प्राप्त होती है और उसे समस्त शक्तियों के स्वामी की स्थिति प्राप्त होती है और व्यक्ति इस जीवन में ही मनुष्यत्व से देवत्व की ओर परिवर्तित होने की प्रक्रिया प्रारम्भ कर लेता है।